कितने लोग झुलस गये हैं तुम्हारे जाने के बाद। कितने लोग झुलस गये हैं तुम्हारे जाने के बाद।
कर्म करो, दृढ़ रहो, सशक्त बनो खुद अपनी पहचान बनाओ। कर्म करो, दृढ़ रहो, सशक्त बनो खुद अपनी पहचान बनाओ।
किसी भी बात की अति, व्यक्ति को अत्याचारी या निरीह बनाती है, और वही होने लगा। किसी भी बात की अति, व्यक्ति को अत्याचारी या निरीह बनाती है, और वही होने...
हम मजबूर नहीं होते हैं, मगर इन घिसी-पिटी, परम्पराओं को बचाने के लिए, अपने सपनों का गला, घोट देते है। हम मजबूर नहीं होते हैं, मगर इन घिसी-पिटी, परम्पराओं को बचाने के लिए, अपने सपनों ...
रोना चाह कर भी आँसुओं को न गिरने देते हैं, तभी होता है उनका एक सुखी संसार।। रोना चाह कर भी आँसुओं को न गिरने देते हैं, तभी होता है उनका एक सुखी संसार...
आचरण पर्यावरण सब कुुुछ है धूमिल धूसरित, काल के असमय बिछाए गाल का हिस्सा बना। आचरण पर्यावरण सब कुुुछ है धूमिल धूसरित, काल के असमय बिछाए गाल का हिस्सा बना।